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छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सत्ता में आते ही,हसदेव जंगल में अदानी की कंपनी ने काट दिए हजारों पेड़ !

छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सत्ता में आते ही,हसदेव जंगल में अदानी की कंपनी ने काट दिए हजारों पेड़ !



हसदेव के जंगलों में पेड़ों की कटाई फिर से शुरू हो गई है। पूरे इलाके में पहले से ही पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि किसी भी विरोध से बच सके।


    सरकार बदलते ही पेड़ो की कटाई शुरू 

    छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई फिर से शुरू हो गई है। पीईकेबी 2 परियोजना के लिए गुरुवार से पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिला प्रशासन और वन विभाग की अनुमति के बाद। आज लगभग 93 हेक्टेयर जमीन पर 9000 से अधिक पेड़ों की कटाई की योजना बनाई गई है। इस बार प्रशासन पहले से ही अलर्ट है और पिछली बार पेड़ों की कटाई को लेकर हुए विवाद और विरोध को देखते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

    अदानी की कंपनी जिम्मेदार 

    भारत सरकार ने परसा ईस्ट केते बासेन 2 कोल परियोजना (राजस्थान राज्य विद्युत वितरण कंपनी) के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति दी है. परियोजना अडानी कंपनी द्वारा संचालित होती है। पेड़ों की कटाई और कोयला उत्पादन की अनुमति मिलने के बाद पहले दो बार पेड़ों की कटाई शुरू की गई, लेकिन ग्रामीणों के व्यापक विरोध के कारण इसे बीच में ही रोकना पड़ा. अब, सत्ता बदलने के बाद पेड़ों की कटाई फिर से शुरू की गई है।

    इन एरिया में हुई कटाई 

    हसदेव अरण्य के आसपास स्थित हरिहरपुर, साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, बासेन और परसा में पुलिस बल लगाया गया और फिर पेड़ों की कटाई शुरू हुई। सुबह 10 बजे से घाटबर्रा के पेंड्रामार जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू हो गई। साल 2003, 2004, 2005 और 2006 में चार अलग-अलग टीमों ने हरे भरे पेड़ों को काट लिया।


    क्या कहा स्थानीय कलेक्टर ने 

    भारत सरकार के कोल मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को हाल ही में एक बैठक में पेड़ों की कटाई कराने और खदान से जल्द से जल्द कोयला उत्पादन शुरू करने के निर्देश दिए। कलेक्टर कुंदन कुमार ने नेतृत्व में जिला प्रशासन और वन विभाग की टीम उदयपुर क्षेत्र में ओपन कास्ट माइंस से कोयला उत्पादन करने के सरकारी निर्देश के बाद पहुंची थी।

    पीईकेबी फेज 1 के खदानों से कोयला बनाया जा रहा था, जबकि पीईकेबी 2 ओपन कास्ट माइंस कोल परियोजना के लिए लगभग 21 सौ हेक्टेयर जंगल में खनन और पेड़ों की कटाई 2011 में ही मंजूर की गई थी। इस योजना के तहत हर साल लगभग 150 हेक्टेयर जंगल की कटाई की जानी है, जिससे कोयला बनाया जाएगा. हालांकि, पिछले वर्ष दो बार कोयला पेड़ों की कटाई का विरोध हुआ। 

    ऐसे में सिर्फ 41 हेक्टेयर जंगल में पेड़ काट लिए गए। पेड़ों की कटाई पूरी नहीं होने के कारण कोयला उत्पादन चार पांच महीने से प्रभावित हो गया था. इसलिए, जिला प्रशासन ने पहले से ही शासन द्वारा स्वीकृत 93 हेक्टेयर जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है। 93 हेक्टेयर जंगल में 9000 से अधिक पेड़ काटे गए हैं।

    सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने इस मामले में कहा, "घाटबर्रा कोल परियोजना पिछले चार महीने से रुकी हुई थी। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और भारत सरकार के कोल मंत्रालय से सचिव ने परियोजना की समीक्षा की। भारत सरकार को कोल आयात से घाटा हो रहा था, इसलिए योजना को जल्दी शुरू करने का आदेश दिया गया। योजना को लेकर बाहरी लोगों का विरोध शुरू से रहा है, इसलिए पुलिस बल लगाया गया है ताकि शांति व कानून व्यवस्था बनी रहे। भारत सरकार ने इस परियोजना को मान्यता दी है। यह ओपन कास्ट परियोजना है, इसलिए पेड़ों की कटाई होनी चाहिए। 93 हेक्टेयर में 8 से 9 हजार पेड़ की कटाई की जानी है। कोल खदान शुरू होने से आसपास के लोगों को काम मिलेगा। 


    विरोध करने पर स्थानीय आदिवासियों पर सरकार का अत्याचार 

    हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला उत्पादन और पेड़ों की कटाई को लेकर वर्षों से विरोध का सिलसिला चला आ रहा है। जिला प्रशासन ने पिछले साल दो बार पेड़ों की कटाई की कोशिश की, लेकिन लोगों के विरोध के कारण इसे छोड़ना पड़ा। भाजपा ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के निवास का घेराव किया, जबकि पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।दोनों पक्षों से विरोध के कारण प्रशासन ने कटाई का काम रोक दिया। यही कारण है कि प्रशासन ने इस बार विरोध के कारण कटाई को प्रभावित होने से बचने के लिए पहले से ही अलर्ट किया था। इस दौरान ठाकुर राम, रामलाल, जयनंदन सरपंच घाटबर्रा और अन्य आंदोलनकारियों को उनके घर से गिरफ्तार किया गया, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है।


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